नालंदा। भगवान बुद्ध के शिष्य व धम्मसेनापति के रूप में सुविख्यात आचार्य सारिपुत्त के महापरिनिर्वाण दिवस (कार्तिक पूर्णिमा) के अवसर पर नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय के आचार्यों ने उनके महत् अवदान को स्मरण किया । विश्वविद्यालय द्वारा उनके जन्मदिन पर विश्वशांति पदयात्रा का आयोजन किया गया। यह पदयात्रा राजगीर के विपुलगिरी पहाड़ी के पूर्वी भाग में पंचाने नदी के तट पर किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो श्रीकांत सिंह ने कहा कि सारिपुत्त का बौद्ध संस्कृति में बड़ा अवदान है। शांति ही मार्ग है। सरस्वती विद्यामंदिर के प्रधानाचार्य अमरेश सिंह ने कहा कि चिरन्तन परम्परा में पूर्णिमा का विशिष्ट महत्त्व है। डीन अकादमी प्रो. दीपंकर लामा ने कहा कि पूर्णिमा का दिन पवित्र है। पुरातत्त्व विभाग को इस क्षेत्र के पुरातात्विक महत्त्व को देखते हुए खनन कार्य करना चाहिये। प्रो राणा पुरुषोत्तम कुमार सिंह ने सारिपुत्त, महाकाश्यप व महामोग्गलान को नालंदा से उत्पन्न गौरव बताया। प्रो. विश्वजीत कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि विरासत को बचाने का यह सुप्रयास है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मुकेश कुमार वर्मा ने किया। इस अवसर पर पंचाने नदी के तटीय क्षेत्र में सारिपुत्त के महापरिनिर्वाण दिवस की स्मृति में वृक्षारोपण किया गया। इससे पारिस्थितिकी शुद्धि बनी रहे यह उम्मीद की गयी है। कार्यक्रम में महाविहार के आचार्य, गैर शैक्षणिक जन, शोध छात्र, अन्य छात्र तथा ग्रामीण जन उपस्थित थे।
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September 22, 2024