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नालंदा :- एक आर्थिक स्थिति से कमजोर व्यक्ति अपना इलाज करवाने सरकारी अस्पताल में जाता है क्योंकि उसे उम्मीद रहता है की यहां मुफ्त इलाज होगा साथ ही मुफ्त दवाई और अन्य सेवाएं भी मिलेगा। लेकिन जब रात के अंधेरे में इसी सरकारी अस्पताल के स्वास्थकर्मी कमीशन खोरी के चक्कर में मरीज को बहला फुसलाकर सदर अस्पताल में इलाज न होने का हवाला देकर निजी अस्पताल में लें जाकर मोटी रकम की उगाही करते है तब सोचिए उस मरीज या उसके परिजन की क्या हालत होगी। ऐसा ही मामला एक बार फिर मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा के सबसे बड़े सरकारी सदर अस्पताल से सामने आया है जहां प्रसव करवाने आई महिला को सदर अस्पताल की जगह अस्पताल की स्वास्थकर्मियो ने चंद पैसों के उगाही के लिए निजी अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां उस महिला मरीज के परिजनों से अस्पताल वालो ने 24 हजार रूपये की मांग की है।
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सूत्रों के अनुसार जिस निजी अस्पताल में स्वास्थकर्मियो द्वारा मरीज को ले जाया गया वो वही अस्पताल है जहां कुछ माह पूर्व बच्चा चोरी की घटना घटी थी। दरअसल रविवार की देर रात रहुई प्रखंड के बारांदी की प्रीति कुमारी सदर अस्पताल बिहारशरीफ प्रसव करवाने के लिए आई थी, लेकिन उन्हें दो आशाकर्मियो ने बिना चिकित्सक से मिलवाएं उन्हे शरीर में रक्त की कमी बताते हुए इस स्थिति में प्रसव न करने का हवाला दिया और फिर बाहर आकर उनके परिजनों को बहला फुसलाकर कर कचहरी रोड स्थित एक निजी क्लीनिक में भर्ती करवाया। जहां निजी क्लीनिक द्वारा प्रसव के लिए 10 हजार रूपये और खून के लिए 14 हजार रूपये की मांग की गई। परिजन इतने पैसे का इंतजाम करने में असमर्थ थे इसलिए वो निजी अस्पताल से वापस सदर अस्पताल आ गए और घंटो ड्रामा के बाद उनके मरीज को भर्ती कर प्रसव कराया गया । वहीं मरीज के परिजनों उन दो आशा कर्मी का नाम बताया जिसमे रिंकू कुमारी एवं अनार देवी शामिल है । आपको बता दें की सदर अस्पताल बिहारशरीफ में ऐसी घटनाएं आम हो चुकी हैं। इससे गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को काफी परेशानी होती है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन जान कर भी अनजान है। हद तो तब हो जाती है जब सिविल सर्जन द्वारा किसी भी मामले में मीडिया कर्मियों को हंसते हुए बयान दिया जाता है इससे ऐसा प्रतीत होता है कि अस्पताल प्रबंधन पूरी तरह लापरवाह है। जिला प्रशासन या स्वास्थ विभाग को इस मामले पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।