
नालंदा :- 14 जनवरी से शुरू होने वाले आठ दिवसीय राजकीय मकर मेला का आयोजन यूथ हॉस्टल परिसर होगा । इस बार हैंगर पंडाल का निर्माण कार्य कराया गया है। इसी पंडाल के समीप पशु मेला, कृषि मेला सहित ग्राम श्री और विभिन्न विभागों के स्टाल भी लगा जा रहा है। इतना ही नहीं छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोगों को मनोरंजन के लिए विभिन्न तरह के झूले भी लगाया जा रहा है। मेला का विधिवत उद्घाटन 14 नवंबर को किया जाएगा। इस बार मेला के अवसर पर 15 जनवरी से लेकर 21 जनवरी तक सरकारी एवं निजी विद्यालयों के बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत अपना कलाकृति को प्रस्तुत करेंगे। इतना ही नहीं इस बार मेला को बड़े रुप में उभरने के लिए पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन ने स्कूली बच्चों के बीच की कि्वज प्रतियोगिता करायेगा। मेला के प्रथम दिन 14 जनवरी को कृषि मेला एवं विभागीय स्टॉल का भी उद्घाटन किया जाएगा। साथ ही स्टेट गेस्ट हाउस मैदान के परिसर में 14 जनवरी से लेकर 21 जनवरी तक पतंगबाजी कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा। मेले के धार्मिक महत्व को देखते हुए 14 जनवरी को ब्रह्म कुंड परिसर में महा आरती कार्यक्रम संध्या 6:30 बजे किया जाएगा। 15 जनवरी को मेले की धार्मिकता को लेकर हैं संत समागम के तहत राम जानकी मंदिर से बस स्टैंड, जेपी चौक, बाजार थाना होते हुए कुंड तक संतों की झुंड स्नान करने के लिए जाएगी। इसके लिए प्रशासन के द्वारा पूरे तरह से बेहतर प्रबंध किया गया है। पिछले बार के तरह इस बार भी 15 एवं 16 जनवरी को दो दिवसीय दंगल प्रतियोगिता धुनिबार के पूरब साइड कराया जाएगा। इसके लिए तैयारी जोरों पर कराई जा रही है। 15 से 18 जनवरी तक स्टेट गेस्ट हाउस मैदान में फुटबॉल एवं क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए तैयारी किया जा रहा है। साथ ही साथ 16 जनवरी को स्टेट गेस्ट हाउस मैदान में वॉलीबॉल प्रतियोगिता का भीआयोजन किया जाएगा। 16 जनवरी को मेला थाना परिसर में कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया जाएगा। 17 जनवरी को स्टेट गेस्ट हाउस मैदान में कबड्डी प्रतियोगिता 18 जनवरी को एथलेटिक्स प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। 17 जनवरी को मेला थाना परिसर के पास क्विज बात विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। 19 जनवरी को टमटम एवं पालकी सजा का आयोजन किया जाएगा। 20 जनवरी को मिला थाना परिसर में ही दुधारू पशु प्रदर्शनी, कृषि उत्पादन प्रदर्शनी, नुक्कड़ नाटक के तहत सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध किया जाएगा और 21 जनवरी को कार्यक्रम का विधवत रूप से समापन किया जाएगा। बताते चले कि सनातन धर्म में सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर अग्रसर काल में मकर संक्रांति मेला के दौरान राजगीर के विभिन्न शीतल व गर्मजल कुंडों में स्नान के पुण्य का लाभ सैंकड़ों बार के नर्मदा, गंगा-सागर या त्रिवेणी स्नान के बराबर माना गया है। जिसमें पाताल उष्ण गंगा की संज्ञा से प्रसिद्ध ब्रह्म कुण्ड में डूबकियां लगाना सैकड़ों बार के गंगा व नर्मदा स्नान के पुण्य लाभ के समान माना जाता है। इधर अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री डाॅ० धीरेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि मकर मेला अपने आप में संपूर्ण सनातन धर्म को परिलक्षित करता है। मगधकाल से ही राजगीर मकर संक्रांति मेला में सभी साधु, संतों का जमावड़ा यहां लगता रहा है। और वे संक्रांति काल तक राजगीर के पंचपहाडियों की कंदराओं में कल्पवास करते थे। और इस दौरान यहां के विभिन्न कुंडों में स्नान करते थे। आज भी मकर संक्रांति के दौरान देश भर के महान धार्मिक और शक्तिपीठ तीर्थ स्थलों के अलावे, दिव्य मठ मंदिरों के साधु संतों और महंतों का आगमन राजगीर में होता है। जो विभिन्न गर्म जल झरनों में स्नान तथा मठ मंदिरों में पूजा अर्चना कर धार्मिक लाभ उठाते हैं। जिससे मकर संक्रांति तक सर्वधर्म समभाव की नगरी राजगीर में संपूर्ण सनातन धर्म की झलक प्रस्तुत होती है।