नालंदा :- नालंदा के सांसद, कौशलेन्द्र कुमार ने बुधवार को संसद में शून्यकाल के दौरान आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिका का मानदेय का मामला उठाते हुए कहा कि आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिका भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास के अन्तर्गत देश में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में कार्य करती हैं और राज्य सरकार इसकी देखरेख करती है।
केन्द्र सरकार की आंगनबाड़ी योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं एवं कुपोषित बच्चों के विकास हेतु कार्य करने के साथ-साथ आंगनबाड़ी स्कूल के संचालन का भी कार्य इनके तहत होता है। अतः इनका सामाजिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण कार्य है। किन्तु ये काफी कठिन परिस्थितियों में अपना कार्य करती हैं। उचित संसाधन का आंगनबाड़ी केन्दों पर अभाव है। जितनी राशि और सामग्री की जरूरत है, वह पूरा नहीं होता है। इसके अतिरिक्त आंगनबाड़ी केन्द्र टूटे-फूटे घरों से संचालित होता है। इनके द्वारा कठिन परिस्थितियों में किए जा रहे कार्यों के दृष्टिकोण से इनका मानदेय काफी कम है। आज के इस आसमान छूती मंहगाई के समय में आंगनबाड़ी सेविका का मानदेय कम से कम 15 हजार रू. प्रतिमाह और सहायिका का मानदेय 10 हजार रू. प्रतिमाह निर्धारित करने की नितान्त आवश्यकता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी पीड़ा को समझते हुए बिहार राज्य में आंगनबाड़ी सेविका का मानदेय 3000 रूपये से बढ़ाकर 4500 रूपये और आंगनबाड़ी सहायिका का 2250 से बढ़ाकर 3500 रूपये करने का काम किया है। इसका वित्तीय भार भी राज्य के ऊपर पड़ रहा है। बिहार के साथ-साथ देश में आंगनबाड़ी सहायिका एवं सेविका अपने स्तर से मानदेय बढ़ाने के लिए आंदोलन करती आ रही हैं।
ऐसी परिस्थिति में आपके माध्यम से मैं मा.मंत्री से माँग करता हूँ कि आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिका का मानदेय क्रमशः 15 हजार रू. एवं 10 हजार रू.प्रतिमाह करने की इनकी उचित माँग को जल्द से जल्द लागू किया जाये।