नालंदा। पचास चौक पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के तत्वाधान में महात्मा ज्योतिबा फुले का पुण्यतिथि मनाया गया इस मौके पर डॉ भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान एवं प्रदेश अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने संयुक्त रूप से कहा कि महात्मा ज्योतिबा फूल भारत के महान व्यक्तित्वों में से एक हैं। ये एक समाज सुधारक, लेखक, दार्शनिक विचारक क्रांतिकारी के साथ अन्याय प्रतीभाओअं के धनी थे। ज्योतिराव गोविंदराव फूले का जन्म 11अप्रैल 1827 ई को तात्कालिक ब्रिटिश भारत के खानवाडी (पुणे) में हुआ था। इनकी माता का नाम चिमनाभाई और पिता का नाम गोविंद राव था। उनकी मात्र एक वर्ष की अवस्था में ही उनकी माता का स्वर्गवास हो गया। इसके बाद उनके पालन पोषण के लिए सगुणाबाई नामक एक दाई को लागत गया। इन्हें महात्मा फुले और ज्योतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने प्रारंभ में मराठी भाषा में शिक्षा प्राप्त की परंतु बाद में जाति भेद के कारण बीच में ही उनकी पढ़ाई छूट गई। बाद में 21 वर्ष की अवस्था में इन्होंने अंग्रेजी भाषा 7वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की। इनका विवाह सन 1840 ईस्वी में सावित्रीबाई फुले से हुआ। यह बाद में स्वयं एक प्रसिद्ध स्वयंसेवी महिला के रूप में सामने आई स्त्री शिक्षा और दलितों को शिक्षा का अधिकार दिलाने के अपने उद्देश्य में पति-पत्नी के साथ मिलकर कार्य किया। शिक्षा के क्षेत्र में सन 1848 ईस्वी में एक स्कूल खोला स्त्री शिक्षा और उनकी दशा सुधारने के क्षेत्र में यह प्रथम पहला कदम था लेकिन लड़कियों को पढ़ने के लिए कोई शिक्षिका नहीं मिली। तब उन्होंने दिन-रात एक करके स्वयं पत्नी सावित्रीबाई फुले को काबिल बनाया। 24 सितंबर 1873 ई को इन्होंने महाराष्ट्र में सत्यशोधक समाज की स्थापना की। इन्होंने समाज के सभी वर्गों के लिए शिक्षा प्रदान किया जाने की मुखालफत की। ज्योतिबा फुले ने गुलामगिरी (1873), छत्रपति शिवाजी, अछूतों की कैफियत, तृतीय रत्न राजा भोसला का अखाड़ा इत्यादि लिखें। उनकी मृत्यु 28 नवंबर 1890 ई को 63 वर्ष की अवस्था में पुणे (महाराष्ट्र) में हो गई। इस अवसर पर डॉ भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के प्रदेश के उपाध्यक्ष नंदलाल रविदास उमेश पंडित अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष सादिक अजहर महिला प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष लालति देवी रोहित कुमार इत्यादि लोग उपस्थित थे।
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September 22, 2024