किसी भी सब्जी का दाम 50 रुपए से कम नहीं
टमाटर कैसे? 160 रुपये किलो। हरी मिर्च 200 रुपए। भिण्डी 60 रुपए। परोर 60 रुपए। गुरुवार को शहर के चौक-चौराहों पर सजीं दुकानों पर मोल-भाल करते ग्राहक हरी सब्जियों के दाम सुनते ही नाक-मुंह सिकोड़ने लग रहे थे। महंगाई का झटका ऐसा लग रहा था कि चेहरे के रंग उड़ जा रहे थे। नौबत ऐसी कि घर से निकलते थे भर थैला सब्जी खरीदने। लेकिन, पाव भर अथवा आधा किलो सब्जी लेकर लौट गये। मंडियों में यह नजारा एक दिन का नहीं है। पिछले 10 दिनों से महंगाई की गर्मी इतनी चढ़ी है कि खरीदार बेदम हैं। गरीबों की थाली से तो हरी सब्जियां गायब हो गयी हैं।
सब्जी उत्पादन के लिए महशूर शहर में प्राय: सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। हद तो यह कि टमाटर और हरी मिर्च के बाद बैंगन ने भी शतक जड़ दी है। बुधवार तक 80 रुपए किलो दाम था। गुरुवार को बढ़कर 100 किलो दाम हो गया है। अदरख और धनिया के तो कहने ही क्या? 300 रुपए किलो। हद तो यह कि बाजार में कोई भी सब्जी 50 रुपए से कम में खरीदारों के थैले में जाने को तैयार नहीं हैं। भले ही कीमत बढ़ने का दाम किसानों को कम मिल पा रहा है। लेकिन, मीठे बोल बोलकर खुदरा दुकानदार खरीदारों की जेबें ढीली जरूर कर रहे हैं। मंडी या खेत से खुद खरीदते हैं सस्ता। परंतु, ग्राहकों को महंगाई का बहाना बनाकर मोटी रकम वसूलते हैं।
मंडी से दुकान आते ही कीमत दोगुनी:
बाजार समिति मंडी में सब्जियों के दाम कम हैं। लेकिन, मंडी से चौक-चौराहों पर पहुंचते ही सब्जियों के दाम ड्योढ़ा बढ़ जा रहा है। हद तो यह कि कारोबार खेत से सब्जियां खरीदकर दुकानों में दोगुने दाम पर बेच रहे हैं। भिंडी खेत में 30 रुपए किलो तो बाजार में 60 रुपए। किसान से कारोबारी परवल 40 रुपए खरीदरते हैं। लेकिन, बाजार में 80 रुपए किलो बेचते हैं। मंडी में हरी मिर्च 150 रुपए तो बाजार में 200 रुपए किलो है।
नासिक से टमाटर तो बेंगलुरु से अदरख:
मंडी के कारोबार कुणाल कुमार, मनोज कुमार व अन्य बताते हैं कि जून में अधिक गर्मी पड़ने से टमाटम की खेती चौपट हो गयी है। मिर्च का हाल भी कुछ भी ऐसा ही है। अभी शहर में नासिक से टमाटर तो कटिहार से हरी मिर्च मंगायी जा रही है। जबकि, बेंगलुरु से अदरख तो रांची से धनियां की खेप पहुंच रही है। ट्रांसपोर्टिगं पर ही काफी खर्च हो जा रहा है। नासिक में टमाटम की कीमत 60 से 65 रुपए किलो है। शहर की मंडी में यह 120 रुपए में बिकती है। जबकि, बाजार में 160 रुपए। अदरख का दाम बेंगलुरु में 150 तो मंडी में 200 रुपए किलो है। बाजार में 300 रुपए में बिकता है।
दाम बढ़ा तो मांग घटी:
टमाटम और हरी मिर्च का दाम बढ़ने से मांग में जोरदार गिरावट आयी है। सब्जी मंडी के कारोबारियों के अनुसार अभी रोज करीब पांच हजार किलो टमाटम की खपत है। जबकि, दाम कम रहने पर 20 हजार किलो तक एक दिन में बिक्री होती थी। हरी मिर्च अभी रोज साढ़े हजार किलो बिकती है। जबकि, पहले 10 से 12 हजार किलो डेली की खपत थी। अम्बेर मोड़ के दुकानदार संजीव कुमार कहते हैं, ज्यादातर ग्राहक टमाटर खरीदने से बचते हैं। बहुत जरूरत होती है तो 100 से 250 ग्राम में काम चलाते हैं। हरी मिर्च तो 50 से 100 ग्राम से ज्यादा कोई खरीदना ही नहीं चाहते हैं।
बिगड़ा बजट तो आलू पर निर्भरता बढ़ी:
हरी सब्जियों के दाम बढ़ने से घर का बजट बिगड़ रहा है। बिगड़ते बजट को संतुलित रखने के लिए लोगों की निर्भरता आलू पर बढ़ गयी है। दुकानों में आलू 15 से 16 रुपए किलो है। खासकर रोज कमाने और खाने वाले गरीब तो हरी सब्जियों का नाम भी लेना नहीं चाहते हैं। आलू की सब्जी और आलू का चोखा से काम चला रहे हैं।
अभी दाम में नरमी की उम्मीद कम :
सरदार बिगहा किसान धनंजय कुमार, सोहडीह के राकेश कुमार व अन्य कहते हैं कि सब्जियों के दाम में नरमी की उम्मीद कम है। इतना जरूर है कि मौसम का साथ मिलता है तो सब्जियों की नयी उपज अगले सप्ताह से मिलने लगेगी। भिंडी, बोड़ा, कद्दू, करैला की नयी उपज बाजार में आ सकती है। बशर्ते अधिक बारिश के कारण खेतों में जलभराव न हो।
सब्जियों की कीमत (प्रति किलो रुपए में)
सब्जी मंडी बाजार
टमाटर 120 -160
हरी मिर्च 150 – 200
बैंगन 80 -100
आदि 200 – 300
धनिया पत्ता 200 – 300
भिंडी 40 – 60
परोर 40 – 60
कद्दू 35 – 50
खखसी 50 – 80