NALANDA : नालंदा विश्वविद्यालय, भारत और डैफोडिल अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, बांग्लादेश के बीच ढाका, बांग्लादेश में 13 मई को शैक्षणिक सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ। दोनों विश्वविद्यालय अकादमिक आदान-प्रदान, अनुसंधान कार्यक्रमों और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में संयुक्त रूप से संलग्न होने पर सहमत हुए। इस अवसर पर नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने एशियाई क्षेत्र में एक जीवंत ज्ञान-तंत्र बनाने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “संस्थानों के बीच ऐसे शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के द्वारा एक समावेशी ज्ञान परंपरा विकसित होने की संभावना अंतर्निहित है। नालंदा विश्वविद्यालय का एक मुख्य उद्देश्य ज्ञान मार्ग के माध्यम से भारत को दुनिया के साथ जोड़ने में ‘सेतु’ के रूप में काम करना है”, कुलपति ने कहा।
इस अवसर पर प्रोफेसर एम. लुत्फर रहमान, वाइस चांसलर, डैफोडिल्स इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी और विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन, डैफोडिल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर हैं। इस समझौता ज्ञापन से दोनों देशों के शिक्षाविदों के बीच सद्भाव और द्विपक्षीय संबंधों सुदृढ़ होंगे।राष्ट्रीय महत्व के अंतरराष्ट्रीय संस्थान के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के बाद हुई जिसके सदस्य देशों में बांग्लादेश भी रहा है। सदियों से नालंदा एशियाई ज्ञान का प्रतीक था। विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में एक बार फिर इसी तरह की यात्रा शुरू करने के लिए तैयार है। वर्तमान समय में नालंदा में लगभग 38 देशों के छात्र यहाँ के 455 एकड़ में फैले जीवंत हरित परिसर में अध्ययनरत हैं। कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के नेतृत्व में प्राचीन नालंदा की तरह यह विश्वविद्यालय 21वीं सदी के संदर्भ में वैश्विक ज्ञान के एक स्तम्भ के रूप में एक बार फिर उभरने के लिए तैयार हो रहा है।