वाहन चालकों से यातायात नियमों का हवाला देकर प्रतिदिन काटा जाता है चालान
NALANDA :- शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा जरूर मिल गया है लेकिन एक भी विकास का कार्य स्मार्ट सिटी के अनुसार पूरा नहीं किया गया है। अगर बात करे यातायात व्यवस्था की तो हालात पूरी तरह से बिहार के शराबबंदी कानून की तरह है लागू तो है लेकिन प्रभावित नहीं है। शहर में किसी भी प्रकार के परीक्षाओं के आयोजित होते ही पूरी यातायात व्यवस्था चर्चा का विषय बन जाता है। आमजन भीषण गर्मी में घंटो तक जाम में फसकर परेशान रहते हैं। सोमवार को शहर में एक ऐसा ही दृश्य नालंदा कॉलेज के समीप देखने को मिला जब पार्ट 3 की परीक्षा में शामिल छात्र छात्राएं कॉलेज से जैसे ही बाहर आए यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई। घंटो तक नालंदा कॉलेज से अस्पताल चौराहा तक वाहनों की लंबी कतार लगी रही। वाहन चालकों को नईसराय मोड़ से अस्पताल चौराहा तक पहुंचने में 25 से 30 मिनट लग गए। और ये कोई पहली बार नहीं हुआ है अक्सर शहर में किसी भी प्रकार के परीक्षाओं के आयोजित होते ही व्यवस्था का ये रूप देखने को मिलता है। जबकि यातायात नियम का हवाला देते हुए रोजाना यातायात पुलिस के द्वारा वाहन चेकिंग के दौरान हजारों रुपए का जुर्माना वसूला जाता है। इसके बावजूद भी वर्षो बीत गए है लेकिन विकास के नाम पर सिर्फ अस्पताल चौराहे पर ही ट्रैफिक लाइट का संचालन रहता है जबकि शहर में अन्य कई चौराहों पर लगाए गए ट्रैफिक लाइट पर हाथी के दांत साबित हो रहे हैं।