नालंदा :- लोक आस्था का महापर्व छठ के दूसरे दिन शनिवार को खरना मनाया गया। इस दिन सुबह से लेकर शाम तक व्रती उपवास रखकर शाम के समय प्रसाद ग्रहण किये । इसे खरना कहा जाता है और शास्त्रों में खरना का मतलब शुद्धिकरण बताया गया है। इस दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाने की परंपरा है। खरना कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि जो लोग छठ माता का व्रत करते हैं और छठ के नियमों का पालन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं छठ माता पूरी करती हैं। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है और खरना वाले दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं, जो मन की शुद्धता के लिए किया जाता है। इस दिन छठी मैया के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है। प्रसाद में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
खरना की शाम को गुड़ से बनी खीर का भोग लगाया जाता है, कुछ जगहों पर इस खीर को रसिया भी कहते हैं। खास बात यह है कि माता का पूरा प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर तैयार किया जाता है। प्रसाद जब बन जाता है तो सबसे पहले व्रती को दिया जाता है, उसके बाद पूरे परिवार प्रसाद का आनंद लेतें है। इस दिन भगवान सूर्य की भी पूजा अर्चना की जाती है और व्रती छठी मैया के गीत भी गाते हैं। खरना में खीर के साथ दूध और चावल से तैयार किया गया पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी भी तैयार की जाती हैं। इसके साथ ही छठ का प्रमुख प्रसाद ठेकुआ भी तैयार किया जाता है। खरना वाले दिन व्रतधारी मानसिक तौर पर निर्जला उपवास के लिए तैयार होते हैं और इस पूरे व्रत में शुद्धता बहुत महत्वपूर्ण है। आज शाम के समय खीर का प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही व्रती का लगभग 36 घंटे किए जाने वाला निर्जला उपवास शुरू होता है और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन होता है।
नहाय खाय के बाद 18 नवंबर को खरना के साथ ही सूर्य की उपासना और निर्जला उपवास शुरू होगा। 19 की शाम को डूबते हुए सूर्य और 20 को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के बाद छठव्रती उपवास का पारण करेंगे। सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद हर व्रती अन्न-जल ग्रहण करेंगे। इस पर्व का मुख्य प्रसाद ठेकुआ होता है, जो आटे का बनता है। इसके अलावा भूसवा (चावल के आते का लड्डू) भी चढ़ाया जाता है। खरना के दिन सारा सामान शुद्ध घी में बनाया जाता है। पूजा के लिए महत्वपूर्ण सामान
छठ पूजा के लिए विशेष रूप से दौउरा, सूप, सुथनी, नींबू, छोटा नींबू, शकरकंद, अदरक पात, मूंगफली, लाल धान का चावल, हल्दी पात, नारियल, आंवला, सिंघाड़ा, अनानास, गन्ना, धूप की लकड़ी व कलश मुख्य है। छठ के प्रसाद में गेहूं के आटे से बना ठेकुआ प्रमुख प्रसाद होता है। इसके बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है। इसके अलावा चावल के आटे से कसार बनाया जाता हैं। प्रसाद का सारा सामान बहुत साफ सफाई से बनाया जाता है। प्रकृति से जुड़े हुए फल चढ़ते हैं। जैसे गन्ना, घाघर नीबू, मूली, कच्ची हल्दी, केला, शकरकंद और पानी फल सबसे महत्वपूर्ण है। छठ के शाम वाले पहले अर्घ्य वाले दिन प्रसाद बनाने का काम शुरू होता है। दूसरे दिन सूप में प्रसाद रखा जाता है। फिर इसे दौउरा में पूजा का सामान रखकर पुरुष उसे अपने सिर पर लेकर घाट तक पहुंचाते हैं।