आपसी सौहार्द्र बढ़ाने को सभी धर्म- ग्रंथों का अध्ययन जरूरी : डॉ ध्रुव
बिहार उर्दू अकादमी सभागार में जलसा-ए-सीरतुन्नवी आयोजित
पटना I इस्लाम के आखिरी पैगम्बर हजरत मोहम्मद (स.) की जयंती के अवसर पर बिहार उर्दू अकादमी सभागार में जमात-ए-इस्लामी हिन्द, बिहार के तत्वावधान में जलसा -ए-सीरतुन्नवी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता लेखक पत्रकार- शिक्षाविद् डाॅ. ध्रुव कुमार ने कहा कि अमेरिकी इतिहासकार माइकल एच. हार्ट ने अपनी एक मशहूर पुस्तक में हजरत मोहम्मद साहब को दुनिया के 100 प्रभावशाली व्यक्तियों में सबसे ऊपर रखा है। यह इस बात का सबूत है कि पैगम्बर मोहम्मद साहब का व्यक्तित्व कितना बहुआयामी और लोक कल्याणकारी था। डाॅ. ध्रुव ने कहा कि आपसी सौहार्द्र और भाईचारा को बढ़ावा देने के लिए हमें एक-दूसरे के धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए और एक-दूसरे के धर्मगुरुओं एवं रीति-रिवाज का सम्मान करना चाहिए।बिहार दलित विकास समिति के निदेशक फादर जोस ने कहा कि हमें चाहिए हम एक दूसरे को ज्यादा से ज्यादा जानें। एक-दूसरे को जितना ज्यादा जानेंगे, उतना विनम्र और सहनशील होंगे। इससे मानवता का विकास होगा।अध्यक्षता करते हुए जमाअते इस्लामी हिन्द, बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही ने कहा कि हजरत मोहम्मद साहब किसी एक नस्ल, वर्ग या किसी एक धर्म के लोगों के लिए नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए आए थे। उन्होंने न्याय व्यवस्था, राजनैतकि एवं सामाजिक व्यवहार, व्यापार और दैनिक जीवन के लिए उच्च मापदंड स्थापित किए। मौलाना रिजवान ने कहा कि पैगम्बर मोहम्मद साहब ने अत्याचार की रोकथाम का अनमोल नुस्खा दिया।कार्यक्रम में विभिन्न धर्मों से सबंध रखने वाले बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों ने शिरकत किया।