नालंदा :- शारदीय नवरात्रि इस वर्ष 15 अक्टूबर रविवार से शुरू हो रहे हैं। इस बार पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होगी। कोई तिथिक्षय जैसी स्थिति नहीं है। इस बार माता का आगमन हाथी पर और प्रस्थान महिषा पर होगा। आगमन विशेष शुभ प्रभाव वाला होगा जबकि माता का प्रस्थान शुभ नहीं कहा जा सकता है। 14 अक्टूबर की रात्रि 10 बजकर 55 मिनट पर प्रतिपदा तिथि का आरंभ हो जाएगा। जबकि प्रतिपदा तिथि का समापन 15 अक्टूबर की मध्यरात्रि 11 बजकर 52 मिनट पर होगा। चित्रा वैधृति योग्य में कलश स्थापना का निषेध होने के कारण कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 38 मिनट से लेकर दिन में 12 बजकर 23 मिनट तक होगा।प्रतिपदामतानुसार विचार से इस वर्ष दुर्गा का वाहन गज है। प्रतिपदा में देवी को केश पवित्र हेतु (चंदन लेप व त्रिफला) तथा कंधी अर्पण करें।विधि-विधानपूर्वक पूजन से विशेष लाभ मिलने की बात करते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित कन्हैया भारद्वाज ने कहा कि सही मुहूर्त में पूजन आरंभ से लेकर सम्पूर्ण विधान से माता का पूजन जातक का भला करने वाला होता है। नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करते हुए मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा आराधना होगी। जबकि इसके बाद नौ दिनों तक शक्ति की साधना-आराधना के क्रम में माता के विभिन्न स्वरूपों का पूजन सम्पन्न होगा। दुर्गा उपासना, पूजा, उपवास और मंत्रों के जाप का विशेष महत्व होता है, इसलिए हर जातक इसका विशेष ध्यान रखें। नवरात्रि के वातावरण से तमस का अंत होता है, नकारात्मक माहौल की समाप्ति होती है। शारदीय नवरात्रि से मन में उमंग और उल्लास की वृद्धि होती है। दुनिया में सारी शक्ति नारी या स्त्री स्वरूप के पास ही हैv इसलिए नवरात्रि में देवी की उपासना ही की जाती है और देवी शक्ति का एक स्वरूप कहलाती है, इसलिए इसे शक्ति नवरात्रि भी कहा जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसे नवदुर्गा का स्वरूप कहा जाता है। हर स्वरूप से विशेष तरह का आशीर्वाद और वरदान प्राप्त होता है। साथ ही साथ आपके ग्रहों की दिक्कतों का समापन भी होता है। इस बार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से आरंभ होने जा रही है और समापन 24 अक्टूबर को होगा और दसवें दिन दशहरा मनाया जाएगा।
Related Stories
September 22, 2024