कन्हैया पांडेय की रिपोर्ट
बिंद (नालंदा) : स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी समेत सरकार चाहे लाख दावे करें लेकिन स्वास्थ्य विभाग की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। ऐसा ही एक उप स्वास्थ केंद्र है नालंदा जिले के बिंद प्रखंड के जहाना पंचायत में है जो की एसएच 78 से 200 मीटर की दूरी पर तबेला बना हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले अवस्थित इस उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति देख सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। जिले में स्थापित स्वास्थ्य सुविधाओं का क्या हाल है।
साप्ताहिक स्वास्थ्य जांच, विभिन्न रोगों से बचाव के लिया टीकाकरण के उद्देश्य से स्थापित इस उप स्वास्थ्य केंद्र में टीका लेने वालों की जगह गाय,कुत्ता, बकरी, बिल्ली आदि नजर आ रहे है।
यह भवन पूरी तरह से तबेले में तब्दील हो गया है। उप स्वास्थ्य केंद्र के कमरे में गोबर, भूसा, गोईठाआदि रखा है साथ ही केंद्र में मौजूद खिड़कियों और अलमीरा पर चिकित्सा से संबंधित चीजों के जगह पर तंबाकू, गुटखा आदि रखा हुआ है। इस जगह को देख कर लगता है वर्षों से यहां कोई स्वास्थ्य कर्मी आया ही नहीं हो।ऐसा नहीं है कि स्थानीय जन प्रतिनिधि इस मुद्दे को उचित जगह उठाते नहीं है और केंद्र के नियमित संचालन, केंद्र पर स्वास्थ्य कर्मियों की उपस्थिति, साफ-सफाई करवाने के लिए प्रयासरत नहीं है।
लेकिन स्वास्थ्य विभाग की कुंभकर्णी निद्रा नहीं टूटने के कारण स्थानीय जन प्रतिनिधियों का प्रयास भी अब विफल साबित होने लगा है। शहर तो शहर गांवों में भी स्वास्थ्य विभाग की मनमानी का नतीजा देखने को मिल रहा है जिस वजह से केंद्र की स्थिति जस का तस बना हुआ है। जबकि प्राथमिक स्वास्थ केंद्र बिंद के रिपोर्ट के मुताबिक इस उप स्वास्थ केंद्र में एक एएनएम की प्रतिनियुक्ति है हैं।
अब सोचिए इस उप स्वास्थ केंद्र में ड्यूटी करने वाले कर्मचारी कितने आराम से सरकारी वेतन का लाभ उठा रहे और आलाधिकारी भी उतने ही आराम से उप स्वास्थ केंद्र के ऐसे हालत से अनजान है या फिर अनदेखा कर रहे है। आपको बता दे की जहाना पंचायत में इस स्वास्थ केंद्र के भरोसे कई गांव है। लेकिन क्या करे गांव के भोली भाली जनता को ऐसी स्थिति होने के वजह से प्राइवेट अस्पतालों में जाकर अपनी मेहनत की कमाई लुटाना पड़ता है। राज्य के मंत्री से लेकर जिले के अधिकारी तक स्वास्थ सेवा को लेकर बड़े बड़े बयानबाजी करते रहते हैं लेकिन हकीकत आपके सामने है। सवाल यह है की क्या ये लापरवाही या भ्रष्टाचार ?