NALANDA :- नालंदा विश्वविद्यालय में ‘मानवाधिकार के रूप में मानवीय मूल्य’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र गुरुवार की सुबह विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज सभागार में सम्पन्न हुआ।
सिविल 20 (C20) सेक्रेटेरिएट की सहभागिता में आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिष्ठित विद्वानों की सक्रिय प्रतिभागिता रही। मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के राज्यपाल माननीय श्री राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर उपस्थित रहे। सांसद भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष डॉ विनय सहस्रबुद्धे ने मुख्य वक्ता के रूप में सम्मेलन को संबोधित किया।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए नालंदा विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने अपने उद्बोधन में इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की परंपरा में सभी प्राणियों के प्रति सद्भाव, सर्वे भवन्तु सुखिनः के साथ वसुधैव कुटुम्बकम की भावना अंतर्निहित रही है। भारत ने दुनिया के सामने एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है जहां मानव मूल्य सर्वोपरि रहे हैं तथा समाज स्वतः अधिकारों को सुरक्षित करता रहा था।
कुलपति के संबोधन के उपरांत मुख्य वक्ता के रूप में आईसीसीआर के अध्यक्ष डॉ विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि बिहार में नालंदा की पावन भूमि पर इस सम्मेलन का आयोजन हर्ष का विषय है। मानवाधिकार के रूप में मानवीय मूल्य की भूमिका की चर्चा करते उन्होंने कहा कि मानवीय गरिमा के प्रति प्रतिबद्धता की भावना मानवाधिकारों की संकल्पना में समाहित है।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि और बिहार के राज्यपाल माननीय श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि आज के समय में मानवाधिकारों के संरक्षण का मुद्दा तब उठता है जब अमानवीय अत्याचार की घटनाएं हमारे सामने आती हैं। मानवता हमारे अंतस में एवं हमारे स्वभाव में और स्वतःस्फूर्त होनी चाहिए।
उद्घाटन सत्र की समाप्ति के समय धन्यवाद ज्ञापन सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस, पटना से आए डॉ. दुर्गा नंद झा ने किया। कार्यक्रम का संचालन श्री नितिन शर्मा, अध्यक्ष, वर्ल्ड अर्गनईजेशन फॉर स्टूडेंट एण्ड यूथ द्वारा किया गया। नालंदा विश्वविद्यालय की मेजबानी में हुए इस सम्मेलन का आयोजन सिविल 20 (C20)द्वारा किया गया है।
यह संस्थान दुनिया भर के नागरिक समाज संगठनों (CSO) को एक साथ जोड़ने का एक मंच है जो उन्हें G20 के नेतृत्व में हुई परिचर्चाओं में उद्धारित विचारों को प्रस्तावित करने का अवसर प्रदान करता है।सदियों से नालंदा एशियाई ज्ञान का प्रतीक रहा है। विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में एक बार फिर इसी तरह की यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हो रहा है।
C20 के तहत हो रहे इस कार्यक्रम की पहल से नालंदा के छात्रों को मानवाधिकार के मूल्यों और इससे जुड़े अन्य पहलूओं की समझ को विकसित करने में मदद मिलेगी।