श्रमिक अस्पताल सरकार की अनदेखी व लापरवाही के कारण खोखलेपन में तब्दील
बिहारशरीफ : नालंदा जिला का एकमात्र श्रमिक सरकारी बीड़ी अस्पताल इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रहा है। वर्ष 2004 में श्रमिकों के बेहतर इलाज के लिए सभी सुविधाओं से लैस बीड़ी अस्पताल का उद्घाटन किया गया था। आज 19 वर्षों में ये अस्पताल एक डरावनी हवेली बन चुकी है। अस्पताल परिसर में चारों ओर सिर्फ जंगल ही जंगल नजर आता है। अस्पताल परिसर में सभी कमरे के कांच खिड़की टूटे हुए हैं।अस्पताल में मरीजों के सुविधा के लिए लगाया गया लिफ्ट बंद पड़ा है लिफ्ट के अंदर के ज्यादातर यंत्र गायब है। आए दिन चोर द्वारा चोरी की घटना को अंजाम दिया जा रहा है। अस्पताल के मुख्य चिकित्सक डा प्रितोष कुमार दास के अनुसार इस अस्पताल में अब तक 5 से 6 बार चोरी की घटना घट चुका है। दरअसल ये बीड़ी अस्पताल श्रम संसाधन विभाग के अंतर्गत आता है। श्री दास ने बताया कि कई बार अस्पताल के व्यवस्था और रखरखाव के लिए वरीय अधिकारियों को शिकायत की गई है, लेकिन कहीं से भी कोई जवाब नहीं आया है। कुछ दिन पहले भी पटना से एक टीम आई, उन्होंने स्थितियों को देखा, लेकिन उसके बावजूद अब तक इसके विकास को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
अस्पताल में धूल फांक रही है दवाइयां और टूटे हुए बिखरे हैं उपकरण
अस्पताल में जितने भी उपकरण हैं, सभी टूटे-बिखरे हुए हैं। कुछ गायब हैं, तो कुछ उपकरणों को जंग खा रही है। वहीं एक कमरे में भारी मात्रा में दवाइयां रखी हुई हैं। अब इस अस्पताल में जब मरीज नहीं हैं, तो ये दवाई किसके लिए है?
अस्पताल में ओपीडी सेवा चल रही है, लेकिन महिला डॉक्टर और सर्जन नहीं हैं।
अस्पताल में मौजूद स्वास्थ्यकर्मी ने बताया कि फिलहाल यहां ओपीडी सेवा चल रही है। रोजाना 20 से 25 मरीज यहां आते हैं। लेकिन यहां महिला डॉक्टर नहीं है और ना ही कोई सर्जन डॉक्टर है। ऐसे परिस्थितियों में कोई महिला मरीज या सर्जरी से जुड़े मरीज आते हैं, तो उन्हें सदर अस्पताल बिहारशरीफ रेफर कर दिया जाता है।
अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था नहीं : शाम होते ही बन जाता नशेड़ियों का अड्डा
अस्पताल में मौजूद सुरक्षाकर्मी जवाहर लाल ने बताया कि वो इस अस्पताल में एकलौते सुरक्षाकर्मी हैं। उनकी ड्यूटी यहां दोपहर एक बजे से रात के नौ बजे तक की होती है। रात नौ बजे के बाद यहां कोई भी गार्ड नहीं होता है। साथ ही कोरोना के समय में यहां सीसीटीवी कैमरा लगाया तो गया था, लेकिन अब वो सीसीटीवी कैमरा सिर्फ दिखावा है। इस अस्पताल में सिर्फ चोरी ही नहीं, शाम होते ही नशेड़ियों का भी अड्डा बन जाता है। जगह-जगह पर सिगरेट, गांजा के सामग्री बिखरे पड़े हुए हैं। जिसके लिए कई बार अस्पताल के मुख्य चिकित्सक द्वारा स्थानीय पुलिस को सूचना भी दी गई है, लेकिन हमेशा की तरह पुलिस कभी पहुंची ही नहीं।
आइसोलेशन केंद्र होने की वजह से बीड़ी अस्पताल हुआ बदहाल
जिले में कोरोना के समय में कई निजी व सरकारी जगहों को चयनित कर आइसोलेशन केंद्र बनाया गया था। कोरोना काल समाप्त होने के बाद अन्य सभी आइसोलेशन केंद्र अब सुचारू रूप से उत्तम व्यवस्था के साथ चल रहा है। लेकिन जिले का ये इकलौता ऐसा अस्पताल है, जहां सुविधाओं की कमी नहीं है। लेकिन रखरखाव में अनदेखी और लापरवाही से आज ये पूरा अस्पताल भूत बंगला बन चुका है।
स्वास्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने की पहल हुई खोखली
जहां एक तरफ सरकार द्वारा मिशन 60 के तहत लाखों करोड़ों रुपए स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए खर्च किए गए, वही बीड़ी अस्पताल सरकार की नजरों से दूर रहा, जिसका नतीजा ये है कि भव्य भवन होने के बावजूद इसका सही उपयोग नहीं किया जा रहा है। अपराधियों व नशेड़ियों का अड्डा बनता जा रहा है। यह मामला सरकार की अनदेखी और लापरवाही का एक उदाहरण है। सरकार को चाहिए कि वह इस अस्पताल का जल्द से जल्द जीर्णोद्धार कराए और इसे श्रमिकों के लिए सुलभ बनाए। साथ ही यहां के स्थानीय पुलिस को इस अस्पताल में चोरी और नशेड़ियों के उत्पात पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।