नालंदा :- नालंदा में पिछले 48 घंटे से रुक-रुक कर हो रही बारिश ने जहां किसानों के चेहरे पर खुशी लौटा दी है तो वहीं अब शहर की स्थिति जल जमाव व कीचड़ के कारण नारकीय हो गई है। बिहार शरीफ के पलपर से नवाब रोड होते हुए शालूगंज नाला रोड, बबुरबन्ना,देवी सराय, धनेश्वर घाट रोड, भरावपर, मछली मार्केट में सड़कों पर घुटने भर पानी जमा है तो कहीं सड़के कीचड़ से लिपटी है। जिसके कारण मोहल्लेवासी समेत राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ड्रेनेज सिस्टम बनी वजह
शहर के कई इलाकों में ड्रेनेज सिस्टम बनाया जा रहा है। जिसके कारण जल निकासी की समस्या उत्पन्न हो गई है। यही वजह है कि जल जमाव के कारण नाले का पानी लोगों के घरों और दुकानों में प्रवेश कर रहा है। रामचंद्रपुर, शिवपुरी मोहल्ला एवं नाला रोड व अन्य ऐसे मोहल्लों में रहने वाले लोगों की परेशानी ज्यादा बढ़ गई है। सड़कों पर पानी इतना भर गया है कि अब दोपहिया एवं ई रिक्शा चलाना मुश्किल हो रहा है।रांची रोड की भी स्तिथि दयनीयबिहार शरीफ के रांची रोड भरावपर से लेकर सोगरा कॉलेज तक की सड़कों की स्थिति भी दयनीय है। फ्लाईओवर निर्माण के कारण सड़कों में सिर्फ और सिर्फ गड्ढे ही गड्ढे हैं। जिसके कारण जल जमाव की समस्या उत्पन्न हो गई है। यही वजह है कि गाड़ियों की रफ्तार पर भी ब्रेक लग गई है। हालांकि जल निकासी के लिए कांटापर नाले का भी निर्माण कराया जा रहा है। लेकिन सड़कों की स्थिति तभी दुरुस्त होगी जब फ्लाईओवर का निर्माण कार्य पूर्ण होगा। यानी शहर वासियों को अभी भी कुछ समय का इंतजार करना पड़ेगा।अगस्त के बाद सितंबर मे भी अभी तक कम हुई बारिशअगस्त के बाद सितंबर में भी अब तक जरूरत से कम बारिश हुई है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार 23 सितंबर तक जहां 144.6 एमएम सामान्य बारिश हो जानी चाहिए थी। इसके विरुद्ध अब तक 139.4 एमएम बारिश ही हुई है। यानी जरूरत से 3.58 एमएम प्रतिशत कम।हालांकि पिछले वर्षो की बात करें तो 2019 से 2022 तक जरूर से अधिक बारिश हुई जबकि अन्य सालों में मानसून ने किसानों को निराश किया है।2023 में 23 सितंबर तक 139.4 एमएम बारिश हुई, 3.58 प्रतिशत कम।2022 में 180 एमएम बारिश हुई,43.38 प्रतिशत अधिक।2021 में 96.7 एमएम बारिश हुई,23.07 प्रतिशत कम। 2020 में 72.21 एमएम बारिश हुई,42.6 प्रतिशत कम।2019 में 128.67 एमएम बारिश हुई 2.34 प्रतिशत अधिक। वहीं जलजमाव के मामले में निगम के अधिकारियों ने बताया कि जहां-जहां वाटर लॉगिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है। वहां पंप के सहारे पानी निकालने का कार्य किया जा रहा है।