नालन्दा:- शहर के खंदकपर में शनिवार को 18 वर्षीया किशोरी डेंगू संक्रमित मिली है। उसे तीन दिनों से बुखार था। जांच में डेंगू संक्रमित मिलने पर परिजनों ने उसे निजी क्लीनिक में भर्ती कराया। इससे शहरवासी भयभीत हैं। स्थानीय मोहल्लों में भी डेंगू के नए रोगी मिल रहे हैं। अब तक चार दर्जन से अधिक रोगी मिल चुके हैं। नए रोगी समेत तीन अन्य रोगी का अब भी भैंसासुर निजी क्लीनिक में तो 17 रोगियों को पावापुरी भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज चल रहा है। इक्का दुक्का रोगी पावापुरी मेडिकल कॉलेज जा रहे है। लेकिन, कुव्यवस्था के कारण परिजन अन्य किसी भी अस्पताल में नहीं जाना चाहते हैं। स्वास्थ्य विभाग के सभी तरह की व्यवस्था के दावे के बावजूद सदर, राजगीर, कल्याणबिगहा समेत अन्य अस्पतालों का डेंगू वार्ड खाली है। डेंगू रोगी 22 वर्षीय प्रशांत कुमार की माता रिंकी कुमारी ने बताया कि बेटा को संक्रमित होने पर सदर में भर्ती कराया। पहले दिन तो कोई देखने नहीं आया। दूसरे दिन डॉक्टर से बेटे को देखने के लिए कहा। डॉक्टर ने जाने से मना कर दिया। इसके बाद काफी अनुनय विनय करने पर जाकर किसी तरह से बेटे को देखा। रोगी को खाना तक ऊपर नहीं पहुंचाया जाता है। स्वास्थ्य विभाग हर तरह की दवा व इलाज का दावा कर रहा है। लेकिन, इस अस्पताल में बेड, मच्छरदानी व कुछ दवाओं के सिवा कुछ नहीं था। रोगी को रेफर किया गया। निजी वाहन से पटना ले जाना पड़ा। वहां उसका इलाज चल रहा है। खंदक पर के डेंगू रोगी के परिजन प्रमोद कुमार, शिशिर प्रसाद व अन्य ने कहा कि सही से फॉगिंग भी नहीं करायी जाती है। साफ सफाई का भी बुरा हाल है। गलियों में गंदा पनी व किचड़ जमा रहता है। इसे कोई देखने वाला नहीं है। जिला में चार ब्लड बैंक हैं। सदर अस्पताल के लैब टेक्नीशियन के अनुसार जिला में अब तक डेंगू के 14 संक्रमित रोगी मिल चुके हैं। जबकि, निजी क्लीनिकों में दो दर्जन से अधिक रोगी मिले हैं। डेंगू बीमारी में स्थिति गंभीर होने पर प्लेटलेट्स की आवश्यकता होती है। इसके लिए ब्लड चाहिए। प्लेटलेट्स चढ़ाने की व्यवस्था सिर्फ पावापुरी भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान (मेडिकल कॉलेज) में है। पावापुरी, सदर अस्पताल व शहर में दो निजी ब्लड बैंक काम कर रहे हैं। फिलहाल यहां किसी रोगी को खून या प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता नहीं पड़ी है। शनिवार को सदर अस्पताल में ए, बी, ओ प्लस व ए माइनस ग्रुप के सिर्फ 16 युनिट रक्त मौजूद थे। पावापुरी मेडिकल कॉलेज में पर्याप्त ब्लड व प्लेटलेट्स उपलब्ध हैं। पावापुरी मेडिकल कॉलेज में 17 रोगी भर्ती हैं। इनमें 13 नवादा जिला के विभिन्न गांवों के हैं। वहीं चंडी व नूरसराय के एक-एक रोगी भर्ती हैं। इसके अलावा शेखपुरा व जमुई जिला के एक-एक रोगी का इलाज चल रहा है। इन रोगियों की निरंतर मॉनिटरिंग की जा रही है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि रोगियों की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है। रोगियों के ब्लड ग्रुप की जांच कर रिपोर्ट रख ली गयी है। आवश्यकता पड़ने पर प्लेटलेट्स व रक्त चढ़ायी जाएगी। इससे लोगों को घबराने की नहीं सतर्क रहने की आवश्यकता है। पावापुरी मेडिकल कॉलेज के प्राचाय प्रो. डॉ. पीके चौधरी, फिजिसियन डॉ. मिथिलेश प्रसाद व अन्य चिकित्सकों ने बताया कि सामान्य तौर पर डेंगू में रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या में गिरवाट आती है। उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर इंसान में प्रति माइक्रोलीटर खून में डेढ़ से साढ़े चार लाख प्लेटलेट्स होने चाहिए। इससे कम या अधिक होना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। 50 हजार से कम होना खतनराक हो सकता है। 20 हजार से कम जानलेवा बन सकता है।