
नालंदा :-इकोटूरिस्ट नगरी राजगीर के जंगलों में आग लगने का सिलसिला कोई नयी बात नहीं है। हर साल जंगल में करोड़ों की बेशकीमती जड़ी-बूटी व लड़की जलकर राख हो जाती है। इसके बाद भी आज तक वन विभाग ने आग पर काबू पाने के लिए कोई नई तकनीक नहीं अपनायी है। वहीं घीसा-पीटा सैंकड़ों साल पुराना पीट-पीटकर आग बुझाने का काम किया जाता है। रविवार को वैभारगिरि पर पाण्डु पोखर के पास से लेकर चार किलोमीटर की दूरी तक जंगल में आग लग गयी। वही सोमवार को इस अगलगी की घटना को सुनकर जिलाधिकारी शशांक शुभंकर राजगीर पहुंचे और अगलगी के संबंध में पूरी तरह से जानकारी लिए साथ ही साथ इस पर काबू पाने के संबंध में संबंधित विभाग के पदाधिकारियों से जानकारी प्राप्त की। इधर वन विभाग के कर्मी से लेकर पदाधिकारी भी इस अगलगी की घटना पर काबू पाने के लिए अपना अथक प्रयास में जुट गए हैं । बता दें कि इन दिनों प्रचंड गर्मी पड़ रही है। इस कारण लकड़ी सूखी होने के कारण चड़-चड़ की आवाज व तेज लपटों और धुआं के साथ आग लगी रही। यह आग धीरे-धीरे नीचे की ओर आती दिखी। हालांकि वन विभाग के चार-पांच कर्मी लाठी डंडा लेकर उसे बुझाने का प्रयास करते दिखे। लोगों ने कहा कि कम से कम यह अब तीन दिनों तक जलता रहेगा। हर साल तो यही होता ही है। वहीं आग की सूचना पाकर रविवार को वहां पर सीओ स्वाति सौरभ व बीडीओ मुकेश कुमार भी पहाड़ की तराई में पहुंच। वहां पर उन्होंने जल रही आग का मुआयना किया। अपने वरीय पदाधिकारी को सूचना दी। लोगों ने कहा कि अभी तो गर्मी शुरू ही हुआ है और आग लगने का सिलसिला शुरू हो गया। वन विभाग के अनदेखी व शिथिलता के कारण ही हर साल यहां की लाखों रुपये की बेशकीमती लकड़ी व जड़ी-बूटी जलकर राख हो जाती है। इससे जंगल में रहने वाले नीलगायों व अन्य जंगली जीवों पर भी असर पड़ता है। आग की लपटें इतनी तेज थी कि लड़की के जलने की आवाज दूर तक आ रही थी। इससे पहले 18 फरवरी को विपुलाचलगिरि पर भी आग लगी थी।