संकल्प, मेहनत और संघर्ष की मिसाल बनी अस्थावां की बेटी
बिहारशरीफ । नालंदा जिले के अस्थावां प्रखंड स्थित मालती गांव की प्रीति कुमारी ने यह साबित कर दिया कि कठिन परिस्थितियां कभी भी सच्चे जज्बे और कड़ी मेहनत के आगे टिक नहीं सकतीं।
मालती स्थित +2 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा प्रीति ने संसाधनों की भारी कमी के बावजूद शिक्षा के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। प्रीति राजेश यादव और रेणु देवी की पुत्री हैं। छह बहनों और एक भाई में दूसरे नंबर पर होने के बावजूद, उन्होंने कभी अपने सपनों से समझौता नहीं किया।
प्रीति का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है। उनके माता-पिता मजदूरी करते हैं और कई बार घर में खाने का भी अभाव रहता था। ऐसी स्थिति में भी प्रीति का पढ़ाई का जुनून कभी कम नहीं हुआ। स्कूल के दिनों में प्रीति खाली पेट स्कूल चली जाती थीं और अपनी सहेलियों से किताबें लेकर पढ़ाई करती थीं। कुछ शिक्षकों, जैसे सूर्यकांत सर, ने उन्हें कॉपी और अन्य ज़रूरी सामग्री देकर मदद की।
प्रीति ने वर्ष 2024 की मैट्रिक परीक्षा में 500 में से 406 अंक प्राप्त कर प्रथम श्रेणी में सफलता हासिल की। इसके बाद आईटीआई प्रवेश परीक्षा में नालंदा जिले में पंद्रहवां स्थान हासिल किया।
प्रीति ने बातचीत में बताया, “मैं शिक्षक या अधिकारी बनना चाहती हूं ताकि मैं भी उन बच्चों की मदद कर सकूं, जो संसाधनों की कमी के कारण पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं।” उनका कहना है कि सीमित संसाधनों ने कभी भी उनके सपनों को रोकने की कोशिश नहीं की।
अस्थावां प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (माध्यमिक शिक्षा) अनिल कुमार ने प्रीति की लगन को देखते हुए उन्हें एक छोटा पढ़ाई का टेबल भेंट किया। उन्होंने प्रीति को एक प्रेरणा स्रोत बताते हुए कहा कि ऐसी प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देना बेहद ज़रूरी है।
बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सह प्रदेश सचिव सूर्यकांत सिंह कांत ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कई शिक्षक संसाधनों की कमी के बावजूद बच्चों को सहयोग करते हैं, लेकिन प्रशासनिक दबाव और गलत मानसिकता वाले अधिकारी शिक्षकों का मनोबल तोड़ते हैं।