नालंदा : – इस्लामपुर प्रखंड के दीनदयाल गंज गांव के रहने वाले वीरेंद्र यादव का पार्थिव शरीर सोमवार को उनके गांव लाया गया। वीरेंद्र यादव कैलाश सिंह के 39 वर्षीय पुत्र हैं। जो मणिपुर में 24 असम राइफल्स में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे।अन्य दिनों के भांति ही शनिवार की सुबह वीरेंद्र यादव अपनी ड्यूटी में तैनात थे। तभी उग्रवादियों से हुई मुठभेड़ में वे शहीद हो गए। 2005 में असम राइफल्स में वीरेंद्र यादव का चयन हुआ था।वीरेंद्र यादव के भाई उपेंद्र यादव ने बताया कि शनिवार की सुबह 10:15 बजे परिवार वालों से बात हुई थी। इसके बाद वीरेंद्र यादव ने 18 नवंबर को घर आने की बात कह कर मोबाइल काट दिया था। 11:25 बजे उन्हें फोन आया कि उनके भाई को गोली लग गई। उन्हें इस बात पर विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने फोन काट दिया। फिर वीरेंद्र के दोस्त ने मोबाइल के जरिए यह बताया कि वीरेंद्र शहीद हो गया है।
शहीद का पार्थिव शरीर जैसे ही गांव पहुंचा। परिवार वालों में कोहराम मच गया। पूरा गांव शहीद के अंतिम यात्रा के लिए उमड़ पड़ा। वहीं, जनप्रतिनिधि भी परिवार वालों का ढाढ़स बांधते हुए दिखे। शहीद की पत्नी चंचल कुमारी एवं उसके दो बच्चे शिवम और शिवराज अपने पिता के शव से लिपटकर बार-बार बदहवास हो रहा था। शहीद वीरेंद्र अमर रहे, अमर रहे जैसे गगनभेदी नारों से पूरा इलाका गुंजायमान हो गया।वीरेंद्र यादव के शहीद होने की सूचना मिलते ही नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार, विधायक राकेश रौशन, पूर्व विधान पार्षद, राजू यादव, भाजपा नेता महेंद्र सिंह यादव, भाजपा नेता वीरेंद्र गोप, सुमन पटेल समेत अन्य जनप्रतिनिधि पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देने वीरेंद्र यादव के गांव पहुंचे।