गोल्डी कुमारी ने दिव्यांगता को बनाया अपनी ताकत
हरनौत (नालंदा) । दिव्यांग खिलाड़ी गोल्डी कुमारी को गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन और जीवन में अद्वितीय संघर्ष के लिए दिया गया।
कोच और नालंदा लक्ष्य अकादमी का योगदान
गोल्डी को नालंदा लक्ष्य अकादमी के कोच कुंदन कुमार पांडे के निर्देशन में हरनौत स्टेडियम में प्रशिक्षण मिला। कोच पांडे ने बताया कि गोल्डी ने 1 दिसंबर से 7 दिसंबर तक थाईलैंड में आयोजित विश्व पैरा ओलंपिक यूथ गेम्स में एक स्वर्ण समेत कुल तीन पदक अपने नाम किए। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल बिहार बल्कि पूरे देश को गर्वित किया है।
रेल हादसे के बाद जीवन में संघर्ष और सफलता
गोल्डी कुमारी की कहानी संघर्ष और दृढ़ता की मिसाल है। बख्तियारपुर जंक्शन पर मात्र 10 महीने की उम्र में एक रेल हादसे में उन्होंने अपनी मां को खो दिया। इस हादसे में उनका बायां हाथ भी कट गया। लेकिन इन कठिनाइयों ने उन्हें कभी कमजोर नहीं होने दिया। गोल्डी ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत से खुद को साबित किया।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग का चयन
गोल्डी का चयन केंद्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए किया गया। यह सम्मान देश के उन बच्चों को दिया जाता है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रदर्शन कर प्रेरणा का स्रोत बने हैं।
राष्ट्रपति के हाथों सम्मान प्राप्त करने के बाद हरनौत के प्रमोद कुमार, चंद्र उदय कुमार उर्फ मुन्ना, बीजू थॉमस, रवि कुमार, सुभाष कुमार, दिनेश कुमार, सुरेश सिंह, सुनील कुमार समेत दर्जनों लोगों ने गोल्डी को बधाई दी।
प्रेरणा स्रोत बनीं गोल्डी कुमारी
गोल्डी कुमारी न केवल दिव्यांगजनों के लिए बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा हैं जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहा है। उनकी संघर्ष यात्रा यह दिखाती है कि संकल्प और मेहनत से कोई भी बाधा पार की जा सकती है।