NALANDA :- आशा कर्मियों ने शुक्रवार की सुबह पीएचसी बिहार शरीफ के गेट में ताला जड़कर बिहार सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान आशा कर्मियों ने बाहर से कमीशन के चक्कर में प्रसव कराने आई एक महिला के साथ धक्का-मुक्की करते हुए बिहार शरीफ सदर अस्पताल के मुख्य दरवाजे को भी बंद कर 1 हज़ार में दम नहीं 25 हज़ार से कम नहीं का नारा बुलंद किया। बताते चलें की 17 जुलाई से राज्य भर के आशा कर्मी 14 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। आशा कर्मियों के द्वारा 17 जुलाई के बाद नित्य दिन विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। बिहार राज्य आशा संघ के जिला अध्यक्ष सुनीता सिन्हा ने कहा कि हम लोग विगत 16-17 सालों से सिर्फ कमीशन पर ही काम कर रहे हैं। अगर कमीशन पर ही काम करते रह जाएंगे तो हमारे बच्चों की परवरिश कैसे हो पाएगी। इसलिए आज हम लोगों ने पीएचसी में तालाबंदी करने का कार्य किया है। 2018 में हम लोगों को सरकार के द्वारा यह आश्वासन मिला था कि अब मानदेय मिलेगा। लेकिन सरकार की दोहरी नीति के कारण अब तक उन लोगों को कोई भी फैसिलिटी नहीं मिल सकी है। सरकार अगर हम लोगों के 14 सूत्री मांगों को नहीं मानती है तो हम लोग इसी तरह से धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे। प्रमुख मांगो में सभी आशा-आशा फैसलिटेटरो/ममता की उम्र 18 से 65 वर्ष किया जाना,जिनकी उम्र नियुक्ति के समय 18 से 65 वर्ष है उन्हें स्थाई करना,विगत हड़ताल के समय में हुई सहमति के अकार्यान्वित बिंदुओं को तुरंत लागू करना
,सहमति के संदर्भ में स्वीकृति मासिक परितोषिक शब्द को बदलकर मानदेय किया जाए तथा इसका बकाया सहित अद्यतन भुगतान किया जाए और इसमें काम के बैरियर को समाप्त किया जाना,आशाओं/ममता को देय राशि के भुगतान में स्थानीय स्तरों पर व्याप्त कमीशनखोरी-भ्रष्टाचार भेदभाव पर सख्ती से रोक लगाया जाना,आशाओं/फैसिलिटेटरों/ममता/सफाईकर्मी/पशु चिकित्सक/टीका कर्मी को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए और 25000 मासिक मानदेय किये जाने के अलावा अन्य मांगे शामिल है।