Mahua Live Nalanda: भगवान सूर्य की उपासना से होती है मनवांछित फल की प्राप्ति।

उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों के श्रद्धालु छठ पर्व करने आते हैं बड़गांव
राकेश वर्मा नालंदा 9334382726
Mahua Live Nalanda: देश के 12 प्रमुख सूर्य पीठों में से एक बड़गांव है जिसका प्राचीन नाम बर्राक है। धार्मिक और अध्यात्मिक बड़गांव के सूर्य तालाब और सूर्य मंदिर द्वापर कालीन इतिहास से रूबरू कराता है। यहां के ऐतिहासिक सूर्य तालाब की शांत धारा मन को शांति और सुकून प्रदान करता है और श्री सूर्यनारायण देव की पूजा, अर्चना, आराधना और अर्घ्य दान कर मनोवांछित फल प्राप्त होता है। यही कारण है कि बिहार के अलावे कई राज्यों से सूर्य उपासक और छठ व्रती लोक आस्था का महापर्व छठ मनाने के लिए बड़ी संख्या में आते हैं। यहां उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों के श्रद्धालु आते हैं। हालांकि पहले केवल महिलाएं छठ व्रत करती थी लेकिन बदलते हुए समय में पुरुष के अलावे युवा पीढ़ी भी छठ व्रत करने लगे हैं. इससे लगता है कि लोक आस्था के इस महापर्व के प्रति लोगों में श्रद्धा और विश्वास तेजी से बढ़ रहा है।बड़गांव छठ मेला के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व को समझते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे राजकीय मेला का दर्जा प्रदान किया है. आस्था का महापर्व छठ के दौरान बड़गांव धाम पर भेदभाव, ऊंच-नीच, छूत- अछूत की भावना से ऊपर उठकर लोग एक ही घाट पर पहले तालाब में स्नान करते हैं फिर मिलजुलकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दान करते हैं। इसी प्रकार सूर्य मंदिर में सभी जाति, वर्ण और वर्ग के लोग एक साथ भगवान भास्कर की पूजा अर्चना आराधना कर दीप अर्पित करते हैं।यहां एक ही घाट पर दलित, महादलित, अति पिछड़ा, पिछड़ा और सवर्ण जाति के लोग आजू बाजू में खड़े होकर सूर्य तालाब में उगते और डूबते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं।यहां विराजमान भगवान भास्कर की प्रतिमा को देखते हैं तो आस्था से ओतप्रोत महसूस हो जाते हैं।हिंदू धर्म में केवल सूर्य ही एक ऐसे देवता हैं जिन्हें मूर्त रूप में देखा जाता है। छठ पर्व के मौके पर यहां भगवान श्री सूर्य नारायण के साथ उनकी पत्नी उषा और प्रत्यूषा की आराधना की यहां परंपरा है। यहां पूजा, आराधना व अर्घ्य दान से शरीर तो कंचन होती ही हैं।पुत्र रत्न और धन्य धन्य की प्राप्ति भी होती है।