नालंदा :-दुनिया को ज्ञान की रौशनी देने वाला नालंदा में आज भी कई इलाकों में अनोखी परम्परा निभाई जा रही है | गिरियक प्रखंड की रैतर पंचायत में 15 गांव व टोले आते हैं। इनमें से 12 गांव अपने पुरखों की परंपरा को कई सालों से निभा रहे हैं। इन गांवों के लोग प्याज की खेती नहीं करते हैं। कुछ लोगों ने वैज्ञानिक और चाँद पर जाने की बात कह प्याज की खेती करने का प्रयास किया मगर उनके साथ इस तरह का हादसा हुआ या विपत्ति आया कि उसका पूरा परिवार उस हादसे से उबर नहीं पाया | तब से आज तक किसी ने हिम्मत नहीं की | गांव में सैकड़ों साल पहले संत के रूप में बाबा बनौत रहा करते थे | वे शुद्ध शाकाहारी थे प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करते थे | इस कारण ग्रामीणों ने भी गांव में प्याज की खेती ही करना छोड़ दिया | जबकि लोग प्याज और लहसुन का सेवन करते हैं |
रैतर गांव के अलावे धरमपुर, विशुनपुर, कालीबिगहा, दुर्गानगर, बंगाली बिगहा, शंकरपुर व जीवलाल बिगहा ,भोजपुर, बेलदरिया व अन्य है | समाजसेवी रामानंद ने बताया कि ग्रामदेवता बनौत बाबा के कारण इन 12 गांव में प्याज की खेती नहीं होती है। यहां जो भी प्याज लगाता है तो उसके साथ कोई न कोई अनहोनी हो जाती है. यहां की बेटियां भी शादी के बाद ससुराल में भी खुद से प्याज की खेती नहीं करती हैं।
करते हैं बाबा बनौत की पूजा
गांव के दक्षिण छोर पर एक समाधि बाबा बनौत की समाधि स्थल है | कहा जाता है कि बाबा इसी स्थल पर कुटिया बनाकर रहते थे | ग्रामीणों के बीच पूज्य थे | जब उनका देहावसान हुआ तो लोगों ने उसी स्थान पर उनकी समाधि बनायी और पूजा-अर्चना करने लगे। आज भी बनौत बाबा के दरबार में हर दिन भक्तों की भीड़ जुटती है। और उसी परम्परा को नीभा रहें हैं | जबकि महज एक किलोमीटर पर दूसरे गांव के किसान प्याज की खेती करते हैं | उन्हें किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता |